Thursday, December 20, 2018
Tuesday, December 11, 2018
Hakeem Ji ne marz se Preshaan ho kar Hijama karwaya
Hakeem Ji ne Preshaan ho kar Hijama karwaya,,,,aaram Mila to doosron ko pegham de rahe hen. suniye dekhiye Live Telecast ki recording se.
कपिंग या हिजामा थैरेपी
बदलती लाइफस्टाइल, खान-पान और काम का दबाव ये कुछ ऐसी वजहें हैं जो हर उम्र के लोगों को बीमार कर रहीं हैं। ऐसे में इलाज की हर पद्धति की ओर लोग भरोसे से देखते हैं। कपिंग थैरेपी भी इलाज की एक ऐसी पद्धति है, जिससे लोगों को फायदा होने से लोग इसे अपना रहे हैं। शहर में इन दिनों कपिंग या हिजामा थैरेपी का चलन बढ़ रहा है
यह थैरेपी हजारों वर्ष पुरानी यूनानी चिकित्सा पद्धति है। दुनिया के हर हिस्से में इस पद्धति का प्रयोग किया जा रहा है। इसे अरबी में हिजामा, अंग्रेजी में कपिंग, मिस्र में इलाज बिल कर्न व भारत में रक्त मोक्षण के नाम से जाना जाता है। हिजामा थैरेपी में शरीर से खून निकालकर बीमारी को दूर किया जाता है। ’हिजामा’ एक अरबी शब्द है।
रक्त संचार में तेजी
शरीर को निरोगी बनाए रखने का काम रक्त पर निर्भर है। रक्त संचार शरीर के सभी अंगों को स्वस्थ रखता है। यह थैरेपी रक्तसंचार की रुकावट को खत्म कर सभी जगह पर्याप्त मात्रा में रक्त पहुंचाती है। इस थैरेपी में खून में मौजूद विषैले पदार्थ, मृत कोशिकाओं व अन्य दूषित तत्वों को बाहर निकालकर रोगों से बचाव किया जाता है। इससे नए खून का निर्माण होता है और कई बीमारियां दूर हो जाती हैं।
ऐसे होता है रक्तशोधन : कपिंग के लिए शीशे का कप यूज करके वैक्यूम पैदा किया जाता है, ताकि कप बाडी से चिपक जाए। अब मशीन का यूज भी किया जाने लगा है। जिस पाइंट पर बीमारी की पहचान होती है, वहीं पर कपिंग की जाती है।
मेडिकल साईंस क्या कहता है इस बारे में?
इलाज में आमतौर पर खून चढ़ाया जाता है, लेकिन हिजामा थेरेपी में शरीर से खून निकालकर बीमारी दूर की जाती है। सालों पुरानी इस पद्धति को कपिंग थेरेपी भी कहते हैं। माइग्रेन, जाइंट पेन, कमर दर्द, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल डिस्क, पैरों में सूजन, सुन्न होना और झनझनाहट जैसी बीमारी का इलाज मिनटों में संभव है। इस इलाज में दवा की जरुरत नहीं होती है। सालों पुरानी इस पद्धति से लोग अनजान हैं, यहां तक कि डाक्टर भी इसके बारे में कम जानते हैं। इसकी थ्योरी यह है कि शरीर में कई बीमारी की वजह खून का असंतुलन होता है। हम कपिंग थेरेपी के जरिए इस ब्लड को बैलेंस कर देते हैं और बीमारी ठीक हो जाती है और पेशंट को जल्द आराम मिल जाता है
कपिंग के लिए एनाटामी और फीजियोलाजी की समझ होनी चाहिए। बीमारी के अनुसार गर्दन या गर्दन के नीचे या पीठ में कपिंग की जाती है। कपिंग के लिए शीशे का कप यूज करके वैक्यूम पैदा किया जाता है ताकि कप बाडी से चिपक जाए। अब इसके लिए मशीन का यूज किया जाने लगा है। जिस पाइंट पर बीमारी की पहचान होती है, वहीं पर कपिंग की जाती है। कपिंग करने के तीन से पांच मिनट बाद असंतुलित खून जमा हो जाता है। जमा हुए खून को निकाल दिया जाता है। अगर बीमारी शुरुआती हो तो दो सीटिंग में बीमारी खत्म हो जाती है, वरना तीन-चार सीटिंग की जरुरत होती है। हिजामा थेरेपी प्राकृतिक चिकित्सा की सबसे पुरानी पद्धति है। समय के साथ-साथ हम इस पद्धति को भूलते चले गए। अब समय आ गया है कि फिर से हिजामा थेरेपी को जिंदा किया जाए।
इन बीमारियों में प्रभावी
माइग्रेन, जाइंट पेन, कमर दर्द, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल डिस्क, पैरों में सूजन, सुन्न होना और झनझनाहट, हर प्रकार का दर्द, सायटिका, चर्मरोग, स्पान्डिलाइटिस, किडनी, हृदय रोग, लकवा, मिर्गी, गर्भाशय व हार्मोनल विकार, अस्थमा, साइनुसाइटिस, मधुमेह, मोटापा, थायराइड में बीमारियों में प्रभावी है
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